Wednesday, October 6, 2010

इतिहास बन गया नैनीताल का ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट

                                          धूं-धूं कर जलते कलेक्ट्रेट को नहीं बचा सका प्रशासन

                                          अंग्रेजों  के जमाने के दस्तावेज भी जलकर राख हुए
                                                              (जहांगीर राजू, रुद्रपुर से)




नैनीताल का ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट अब इतिहास बन गया है. जिला प्रशासन की नाकामियों के चलते धूं-धूं कर जलते कलेक्ट्रेट की हैरिटेज बिल्डिंग को कोई नहीं बचा सका. चार घन्टे के अन्तराल पूरा कलेक्ट्रेट परिसर जल कर राख हो गया. स्थिति यह रही कि लकड़ी से बने परिसर को बचाने के लिये मौके पर एक भी फायर हाइड्रेन्ट नहीं पाया गया. जिसके चलते पूरा प्रशासन लाचार होकर इस ऐतिहासिक भवन को जलते हुए देखता रहा.काबिले गौर है कि नैनीताल के ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल में 1898 में हुआ था. यह इस भवन का निर्माण यूरोपीय स्थापत्यकला की गौथिक शैली में किया गया था. अंग्रेजों के जमाने से ही इस परिसर को 12 अनुभागों में बांटा गया था. यहां मौजूद आंग्लकक्ष विदेशी सैलानियों व शोधार्थियों के लिये काफी उपयोगी माना जाता था.
 इस कक्ष में मौजूद सारे ऐतिहासिक दस्तावेज भी जल कर राख हो गये हैं. 1891 में नैनीताल जिले के अस्तित्व में आने के आठ साल बाद कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण कार्य पूरा हुआ था. जिसके बाद से ही इस हैरिटेज भवन में अंग्रेज प्रशासकों के साथ ही आजादी के बाद सत्ता के कई ऊतार चढाव देखे. अपने 112  साल की उम्र में भी यह इमारत चट्टान की तरह मजबूत नजर आती थी. यह हैरिटेज  भवन अपनी स्थापत्यकला के चलते बड़ी-बड़ी इमारतों की सुन्दरता को पीछे छोड़ देती थी. उल्लेखनीय स्थापत्यकला के चलते ही नैनीताल के कलेक्ट्रेट को राज्य के प्रमुख हैरिटेज भवनों में शामिल किया गया था.मंगलवार की सुबह बिल्डिंग के एक हिस्से में अचानक आग लगना शुरू हुई. चार घन्टे के अन्तराल में पूरा कलेक्ट्रेट परिसर राख के ढेर में बदल गया. इस दौरान पूरा प्रशासन हैरिटेज भवन को धूं-धूं कर जलते देखता रहा.

सभी फोटो - आलोक साह
बताते चलें कि हैरिटेज भवन में स्थापित कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा पर प्रशासन ने कभी भी ध्यान नहीं दिया. प्रशासन ने कभी यह भी नहीं सोचा कि लकड़ी की बनी इस इमारत में कभी आग लग जाये तो इसे कैसे बचाया जायेगा. लापरवाही का आलम यह रहा कि पूरे कलेक्ट्रेट परिसर में एक भी फायर हाइड्रेन्ट नहीं पाया गया. जिसके चलते कलेक्ट्रेट के एक दफ्तर में लगी आग ने इतना विकराल रूप ले लिया कि देखते ही देखते पूरा कलेक्ट्रेट आग की ढेर में तब्दील हो गया और प्रशासन बड़ी लाचारी से इस तमाशे को देखता रहा. क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि इस घटना ने पुराने नैनीताल क्लब में लगी आग की घटना को ताजा कर दिया. उस दौरान भी तत्कालीन प्रशासन आन्दोलनकारियों द्वारा लगाई गई आग को बुझाने में नाकाम साबित हुआ था, जिसके चलते नैनीताल ने एक हैरिटेज भवन को खो दिया था. लेकिन आज प्रशासन की लापरवाही के चलते जलकर राख हुए एक और हैरिटेज भवन की घटना से पूरे नैनीताल के साथ ही इससे मजुड़े लोग गमज़दा हैं. इस ऐतिहासिक भवन के इतिहास बन जाने का हर किसी को गम है.

10 comments:

  1. राजू भाई बिलकुल ही सही कहा आपने ये सब वास्तव में एक झलक है उत्तराखंड की जहाँ लापरवाहियों की वजह से धरोहरे ख़तम होती जा रही हैं.

    ReplyDelete
  2. कभी कभी इंसानों की छोटी सी गलती से बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है|

    ReplyDelete
  3. ohh bahut dukh hua..
    हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है.. निवेदन है कि ऐसे ही शानदार पोस्ट लिखकर हिन्दी की सेवा करते रहिये. शब्द पुष्टिकरण(word verification) हटा लीजिये इससे पाठकों को काफी असुविधा होती है..

    ReplyDelete
  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

    ReplyDelete
  5. इस सुंदर से नए चिट्ठों के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  6. Kisi ne RTI mein Information mangi hogi to sab jal gaya

    ReplyDelete
  7. Heritage building of British era gutted in Nainital Important documents destroyed in fire caused by ‘short-circuit’. My suggestion to all the Governments, now all the documents in ALL OFFICES of all Countries should be scanned and saved in BLUE RAY DISCS, DVDs, CDs or HARD DISKS

    ReplyDelete

  8. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई
    ब्लाग जगत में आपका स्वागत है
    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    भिलाई में मिले ब्लागर

    ReplyDelete