बीस साल से जारी है मुहिम
(चंदन बंगारी रामनगर)
कार्बेट नेशनल पार्क में कार्यरत नेचर गाइड राजेश भटट बीते 20 सालो से वन एंव वन्यजीव बचाने की मुहिम में जुटे हुए है। उनकी अगुवाई में रेनबो संगठन पर्यावरण संरक्षण के 48 कार्यक्रमों को सालभर त्यौहार की तरह मनाता है। करीब 200 प्रकार के वन्यजीवों व परिंदों की आवाज निकालने का हुनर रखने वाले 41 वर्षीय राजेश व्याक्तिगत व सरकारी बुलावे पर प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के सैकड़ों लोगों को बेहतर गाइडिंग के गुर सिखा चुके है।
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कार्बेट पार्क में बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देते राजेश |
वर्ष 1988 में हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित कर पर्यावरण संरक्षण का अभियान शुरू किया। 1990 में तकनीकी कोर्स करने के बाद उन्होंने दिल्ली व हरियाणा में नौकरी की। मगर पर्यावरण के प्रति लगाव एक साल बाद ही उनको वापस खींचकर रामनगर ले आया। जिसके बाद वह जूनूनी रूप से वन्यजीव व पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान में जुट गए। डबल एम.ए करने कर 1995 में कार्बेट में नेचर गाइड बनने के साथ ही उन्होंने स्कूली बच्चों का रेनबो संगठन बनाया। रेनबो ने सीटीआर से सटे इलाकों में जागरूकता कार्यक्रमों को क्रमवार आयोजित करने के साथ नगर में पर्यावरण, पृथ्वी, जलसंरक्षण जैसे दिवसों को मनाने की परंपरा डाली। राजेश रेनबो के जरिए बगैर किसी से मदद के अभी तक हजारों स्कूली बच्चों को प्राकृतिक भ्रमण, पक्षी अवलोकन कैम्प कराने के साथ ही सैकड़ों पर्यावरण जागरूकता सेमिनार, नुक्कड़ नाटक, विभिन्न प्रतियोगिताएं, मेलों व रामलीला में जागरूकता काउंटर, रैली कर चुके है। उन्होंने दिल्ली, गाजियाबाद, लखनऊ के स्कूलों में भी स्लाइड शो के जरिए पर्यावरण संरक्षण बचाने की अपील की। उनके बनाए रेनबो संगठन के सदस्य देश के कई बड़े शहरों में इसकी शाखाएं के मार्फत वन्यजीवों व पर्यावरण बचाने का अभियान चला रहे है। व्यक्तिगत रूचि पर उन्होंने उत्तराखंड के बिनसर, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, पवलगढ़, छोटी हल्द्वानी सहित हिमांचल प्रदेश व जम्मूकश्मीर में स्थानीय समुदाय पर आधारित पर्यटन प्रशिक्षण देकर सैकड़ों युवाओं को स्वरोजगार व संरक्षण से जोड़ा है। उन्होंने वन विभाग के बुलावे पर वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र कालागढ़ में दर्जनों प्रशिक्षण कार्यक्रमों में रेंजर व वनरक्षकों सहित आईटीबीपी के अधिकारियों को भी वन्यजीव प्रबंधन के गुर सिखाए है।
वजूद बचाने को पर्यावरण संरक्षण जरूरी¨ राजेश
रामनगर। आज भी गाइड के साथ ही प्रशिक्षक के रूप मे राजेश भटट की काफी मांग रहती है। वह कहते है कि रूपये व लोकप्रियता कमाने को उन्होंने कभी काम नही किया। प्रकृति से दूर होते लोगों को वजूद बचाने को अपनी जड़ों की तरफ देखने के साथ ही इसका संरक्षण करना होगा। रेनबो से छोटे बच्चों को जोड़ने का केवल इतना मकसद है कि यही बच्चे बड़े होकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में दूसरों को ही जगाएंगे।