कार्बेट टाइगर रिजर्व में बीते 5 सालों में 41 एशियाई हाथी मौत के मुंह में जा चुके है
चंदन बंगारी
रामनगर
विश्वविख्यात कार्बेट टाइगर रिजर्व में गजराज की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। ताजा मामलों में गजराज पर वनराज भारी पड़ते नजर आ रहे है। पांच दिनों के भीतर बाघ के हमले में दो हाथियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
कभी अवैध शिकार तो कभी बीमारी व आपसी संघर्ष के कारण बीते 5 सालों में कार्बेट की सीमाआंे के भीतर 40 से ज्यादा हाथी मारे जा चुके है। बता दें कि 1288 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले कार्बेट टाइगर रिजर्व में छह सौ से ज्यादा एशियाई हाथी निवास करते है। मगर इनकी लगातार मौतों ने वन्यजीव प्रेमियोें को सकते में ला दिया है। सूकून की बात यह है कि इन सालों में रिजर्व में एक भी हाथी तस्करों ने नही मारा है। आंकड़ों को देंखे तो वर्ष 2005 में 5 हाथी प्राकृतिक व बीमारी के कारण मारे गए।
वर्ष 2006 में भी मरे 5 हाथियों में से 3 आपसी संघर्ष व 2 बाघ के हमले में मारे गए। वर्ष 2007 में मरे 6 हाथियों में 1 आपसी संघर्ष व बाकी बीमारी व प्राकृतिक कारणों से मरे। जबकि 2008 में यह संख्या बढ़कर 10 पहुंच गई, जिनमें आपसी संघर्ष से मरने वालों की संख्या थी। बाकी मौतें बीमारी व अन्य कारणों से हुई। 2009 में रिजर्व में मरे 7 हाथियों मेें 2 की मौत बाघ के हमले व 5 की मौतें आपसी संघर्ष के कारण हुई। वर्ष 2010 में मरे 6 हाथियों में से दो की मौत बाघ के हमले व बाकी बाढ़ में बहने व बीमारी के कारण हुई। वर्ष 2011 का पहला महीना हाथियों की सेहत के लिए ठीक नही रहा। 28 जनवरी को ढेला रेंज में बाघ ने हथिनी व बीते रविवार को 7 वर्षीय हाथी को मार डाला। दोनों जगहों पर बाघ ने हाथी को आधा खा लिया था। गौर करने वाली बात है कि तीन सालों में हर साल दो हाथी बाघ के हमले में मर रहे है। जिनमें अधिकांश 10 साल से कम उम्र के ही है। ऐसे में इन हाथियों के संरक्षण के लिए कड़े उपाय करने की जरूरत है।
हाथी के मांस को पंसद करता है बाघ
रामनगर। कार्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक सीके कवदियाल का कहना है कि बाघ को हाथी का मांस बेहद प्रिय होता है। अपने को बचाते हुए बाघ हमेशा ही हाथी के छोटे बच्चों पर हमला करता है। उन्होंने कहा कि बाघ के हाथी पर हमले होना कतई चिंता की बात नही है। यह तो फूड चेन का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जंगल के भीतर जो सर्वाधिक शक्तिशाली होता है, वह राजा होता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक मौतों को रोकना किसी के बस की बात नही है।
कार्बेट में है 622 गजराज
रामनगर। तीन साल पूर्व कार्बेट टाइगर रिजर्व में हुई गणना में 622 हाथी गिने गए थे। जिनमें 515 कार्बेट पार्क, 80 बफर व 27 सोनानदी क्षेत्र में शामिल थे। उससे पूर्व 2005 में हुई गणना में रिजर्व में कुल 638 हाथी गिने गए थे। वर्ष 2010 में भी रिजर्व में हाथियों की गणना की गई थी, मगर उसके परिणाम अभी तक घोषित नही हो सके है।
तस्कर भी लगा चुके है सुरक्षा में सेंध
रामनगर। कार्बेट टाइगर रिजर्व में तस्कर भी समय-समय पर सेंध लगाते रहे है। लेकिन गजराजों पर वर्ष 2000 व 2001 में तस्कर भारी पड़े थे। जब रिजर्व की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए तस्कर चार हाथियों का शिकार कर दांत व सूंड तक काटकर ले गए थे। इसके बाद हाथियों की सुरक्षा के लिए रिजर्व में आपरेशन लार्ड चलाया गया। इस घटना के बाद अब तक को कोई भी हाथी तस्करों का शिकार नही हुआ है।
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