समाज सेवी नफीसा अली से बातचीत।
(रुद्रपुर से जहांगीर राजू)
समाजसेवी, पूर्व मिस इंडिया व फिल्म अभिनेत्री नफीसा अली का कहना है कि समाज में महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी तभी मिल सकती है, जब जन्म के बाद से ही उसे परिवार में बाराबरी का दर्जा मिले। हम लोगों को अपने घर से ही इस मुहिम की शुरुआत करनी चाहिए। वह कहती हैं कि समाज में पुरुषों की तरह महिलाओं के अपने सपने होते हैं। ऐसे में उन्हें अपने सपनों को जीने की आजादी जरुर मिलनी चाहिए।अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नफीसा अली ने बातचीत में कहा कि महिलाओं को क्यों नहीं मिलता अपना आसमान ?। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जिस क्षेत्र में भी आगे बढऩे का मौका मिला है, उसने उस क्षेत्र में अपनी काबलियत को साबित करके दिखायी है। आज देश की प्रथम नागरिक से लेकर अन्तरिक्ष तक के क्षेत्र में हो रहे शोध कार्यों में महिलाओं ने अपने आप को साबित कर दिखाया है, बावजूद इसके लोगों का महिलाओं के प्रति नजरिया नहीं बदला है। ऐसे में हमें पुरुष प्रधान समाज के दायरे से बाहर निकलकर महिलाओं को भी हर क्षेत्र में बराबरी का दर्जा देना होगा।
वह कहती हैं कि समाज में आज भी बेटी को दुनिया में आने से पहले भ्रुण में ही उसकी हत्या कर दी जाती है या फिर कुपोषण व उपचार के दौरान उसकी मौत हो जाती है, लेकिन बेटे कभी भी इलाज के अभाव में नहीं मरते। जिससे स्पष्ट होता है कि बेटी को आज भी हम बराबरी का हक नहीं दे पाए हैं। उन्होंने कहा कि दो बार चुनाव लडक़र देश की राजनैतिक स्थितियों को देश चुकी हैं। वह अब दोबारा कभी भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। लेकिन कांग्रेस से जुड़े रहकर वह क्षेत्र में पॉलिटिकल रिफोम के क्षेत्र में काम करेंगी। उन्होंने बताया कि देश में सिख दंगों को लेकर जिम्मेदार लोगों को टिकट देने के विरोध में ही उन्होंने कांग्रेस छोडक़र सपा का दामन थामा था,
लेकिन अब वह हमेशा कांग्रेस के साथ ही बने रहना चाहेंगी। उन्होंने कहा कि आज राजनीति काफी हद तक दूषित हो चुकी है। देश में महात्मा गांधी बनकर राजनीति करने वाला कोई नहीं रहा। ऐसे में उनका प्रयास रहेगा कि लोगों को बेहतर राजनीति के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने बताया कि वह समाज सेेवा के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं। दिल्ली में रहकर वह लोगों को एड्स के प्रति जागरुक करने के साथ ही महिलाओं व वृद्ध लोगों के लिए काम कर रही हैं। उनका प्रयास रहेगा कि उत्तराखंड के लोगों के बीच भी समाज सेेह्ला के क्षेत्र में कार्य किया जाए।
वह कहती हैं कि समाज में आज भी बेटी को दुनिया में आने से पहले भ्रुण में ही उसकी हत्या कर दी जाती है या फिर कुपोषण व उपचार के दौरान उसकी मौत हो जाती है, लेकिन बेटे कभी भी इलाज के अभाव में नहीं मरते। जिससे स्पष्ट होता है कि बेटी को आज भी हम बराबरी का हक नहीं दे पाए हैं। उन्होंने कहा कि दो बार चुनाव लडक़र देश की राजनैतिक स्थितियों को देश चुकी हैं। वह अब दोबारा कभी भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। लेकिन कांग्रेस से जुड़े रहकर वह क्षेत्र में पॉलिटिकल रिफोम के क्षेत्र में काम करेंगी। उन्होंने बताया कि देश में सिख दंगों को लेकर जिम्मेदार लोगों को टिकट देने के विरोध में ही उन्होंने कांग्रेस छोडक़र सपा का दामन थामा था,
लेकिन अब वह हमेशा कांग्रेस के साथ ही बने रहना चाहेंगी। उन्होंने कहा कि आज राजनीति काफी हद तक दूषित हो चुकी है। देश में महात्मा गांधी बनकर राजनीति करने वाला कोई नहीं रहा। ऐसे में उनका प्रयास रहेगा कि लोगों को बेहतर राजनीति के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने बताया कि वह समाज सेेवा के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं। दिल्ली में रहकर वह लोगों को एड्स के प्रति जागरुक करने के साथ ही महिलाओं व वृद्ध लोगों के लिए काम कर रही हैं। उनका प्रयास रहेगा कि उत्तराखंड के लोगों के बीच भी समाज सेेह्ला के क्षेत्र में कार्य किया जाए।
...अब समाज सेवा करेगी क्लोडिया
रुद्रपुर। बिग बॉस फेम जर्मन मॉडल क्लोडिया सिएसला अब समाज सेेवा के क्षेत्र में भी काम करेगी। इस क्षेत्र में काम करने के लिए वह स्वयं सेवी संस्था वाटर की अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर बनी हैं। क्लोडिया ने कहा कि जर्मन के मुकाबले भारत के सुदूरवर्ती गांवों में रहने वाली महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैं। ऐसे में समाज के लोगों की जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि वह एनजीओ वाटर से जुडक़र अब लगातार उत्तराखंड आते रहेंगी। यहां रहकर वह महिलाओं, बुजुर्गों व युवाओं के बीज जाकर काम करेंगी। उन्होंने बताया कि अब वह पूरी तरह से मुंबई में रहने लगी हैं। मुंबई में रहकर वह हिन्दी व साउथ इंडियन फिल्मों के लिए काम कर रही हैं। फिल्मों के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में काम करना उनके लिए बेहतर माध्यम है। क्लोडिया ने बताया कि कलर्स चौनल के रियलिटी शो बीग बॉस में काम करने के दौरान उन्हें हिन्दी सिखने का मौका मिला। हिन्दी सिखने के बाद उन्हें हिन्दी फिल्मों में काम करने में आसानी हो रही है।
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