गुज़रे दौर के अभिनेता 'जॉय मुखर्जी' नहीं रहे
(ललित मोहन, मुंबई, 9 मार्च)
हिंदी फिल्मों के सुहाने युग का हिस्सा रहे, 1960 के, जॉय मुखर्जी गुज़र गए हैं. वह ७३ वर्ष के थे. उन्होंने मुंबई के लीलावती अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली. लोग उनमे शम्मी कपूर की झलक देखते थे. उन्होंने ने 'हमसाया', 'एक मुसाफिर एक हसीना', 'लव इन शिमला', 'लव इन टोक्यो' और 'शागिर्द' जैसी कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया.
उनके हिस्से में हिंदी फिल्मों के स्वर्ण युग का बेहतरीन संगीत भी आया. उन पर फिल्माए गए कुछ कर्णप्रिय गीत इस प्रकार हैं- फ़िल्म; 'एक मुसाफिर एक हसीना' - 'हमको तुम्हारे इश्क ने क्या-क्या बना दिया जो कुछ न बन सके तो तमाशा बना दिया', 'फिर तेरे शहर में लुटाने को चला आया हूँ', 'बहुत शुक्रिया बहुत मेहरबानी मेरी ज़िंदगी में हुज़ूर आप आए', फ़िल्म; फिर वही दिल लाया हूँ- 'बंदा परवर थाम लो जिगर बन के प्यार फिर आया हूँ', 'लाखों हैं निगाह में ज़िंदगी की राह में', फ़िल्म; 'शागिर्द'- 'बड़े मियाँ ऐसे न बनो हसीना क्या चाहे हमसे सुनो', 'दुनिया पागल है या फिर में दीवाना'
फ़िल्म; 'हमसाया'-'दिल की आवाज़ भी सुन', फ़िल्म; 'लव इन शिमला'- 'हसीनों की सवारी है', फ़िल्म; 'लव इन टोक्यो'- 'आजा रे आ ज़रा लहराके आ ज़रा' मुखर्जी अभिनेता अशोक कुमार व गायक-अभिनेता किशोर कुमार के भांजे, अभिनेता शोमू मुखर्जी के रिश्ते के भाई और अभिनेत्री काजोल, रानी मुखर्जी और निर्देशक अयान मुखर्जी के हिस्से में हिंदी फिल्मों के स्वर्ण युग का बेहतरीन संगीत भी आया. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके जाने से हिन्दी फिल्मों के स्वर्ण युग का एक और चिराग बुझ गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे
(ललित मोहन, मुंबई, 9 मार्च)
हिंदी फिल्मों के सुहाने युग का हिस्सा रहे, 1960 के, जॉय मुखर्जी गुज़र गए हैं. वह ७३ वर्ष के थे. उन्होंने मुंबई के लीलावती अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली. लोग उनमे शम्मी कपूर की झलक देखते थे. उन्होंने ने 'हमसाया', 'एक मुसाफिर एक हसीना', 'लव इन शिमला', 'लव इन टोक्यो' और 'शागिर्द' जैसी कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया.
उनके हिस्से में हिंदी फिल्मों के स्वर्ण युग का बेहतरीन संगीत भी आया. उन पर फिल्माए गए कुछ कर्णप्रिय गीत इस प्रकार हैं- फ़िल्म; 'एक मुसाफिर एक हसीना' - 'हमको तुम्हारे इश्क ने क्या-क्या बना दिया जो कुछ न बन सके तो तमाशा बना दिया', 'फिर तेरे शहर में लुटाने को चला आया हूँ', 'बहुत शुक्रिया बहुत मेहरबानी मेरी ज़िंदगी में हुज़ूर आप आए', फ़िल्म; फिर वही दिल लाया हूँ- 'बंदा परवर थाम लो जिगर बन के प्यार फिर आया हूँ', 'लाखों हैं निगाह में ज़िंदगी की राह में', फ़िल्म; 'शागिर्द'- 'बड़े मियाँ ऐसे न बनो हसीना क्या चाहे हमसे सुनो', 'दुनिया पागल है या फिर में दीवाना'
फ़िल्म; 'हमसाया'-'दिल की आवाज़ भी सुन', फ़िल्म; 'लव इन शिमला'- 'हसीनों की सवारी है', फ़िल्म; 'लव इन टोक्यो'- 'आजा रे आ ज़रा लहराके आ ज़रा' मुखर्जी अभिनेता अशोक कुमार व गायक-अभिनेता किशोर कुमार के भांजे, अभिनेता शोमू मुखर्जी के रिश्ते के भाई और अभिनेत्री काजोल, रानी मुखर्जी और निर्देशक अयान मुखर्जी के हिस्से में हिंदी फिल्मों के स्वर्ण युग का बेहतरीन संगीत भी आया. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके जाने से हिन्दी फिल्मों के स्वर्ण युग का एक और चिराग बुझ गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे
जहाँगीर जी वाकई 'जॉय मुखर्जी' बॉलीवुड में सुहाने समय के अभिनेता थें , आपने इन अभिनेता के विषय में वर्णन कर इन्हें लोगों के ह्रदय में अमर कर दिया...अप ऐसे ही लेखों को शब्दनगरी के माध्यम से भी लोगो में साझा कर सकतें है......
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