पिछले साल की तुलना में करीब आठ हजार सैलानी घटे
विदेशी सैलानियों की तादाद में आई कमी
चंदन बंगारी रामनगर
कार्बेट पार्क में सफर मंहगा होने का सीधा असर घूमने आने वाले सैलानियों पर पड़ रहा है। पार्क भ्रमण का शुल्क मंहगा होने से भले ही पार्क प्रशासन को रिकार्ड राजस्व मिला हो, मगर इसकी सीधी मार कार्बेट घूमने की चाहत रखने वाले मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ी है। विश्वप्रसिद्व जिम कार्बेट नेशनल पार्क देशभर में सबसे अधिक पाए जाने वाले बाघों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा पार्क में पाए जाने वाले एशियाई हाथी, चीतल, घड़ियाल, पाड़ा सहित अनेक वन्यजीव व प्राकृतिक सौन्दर्य सैलानियों को बरबस की अपनी ओर आकर्षित करता है। मगर बीते साल कार्बेट पार्क में विश्रामगृहों व परमिट शुल्कों में भारी वृद्वि दी गई थी, जिसका सीधा असर सैलानियों की आमद में पड़ा है।
आंकडों को देखें तो वित्तीय वर्ष 2010-11 में कार्बेट पार्क में आने वाले 1 लाख 89 हजार 793 सैलानियों से करीब 6 करोड़ 42 लाख 34 हजार 221 रूपये का राजस्व मिला। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में पार्क में घूमने आए 1 लाख 98 हजार 205 सैलानियों से 4 करोड़ 44 लाख 54 हजार 210 रूपये का राजस्व मिला था। इसी तरह पिछले वर्ष की तुलना करीब दो करोड़ के राजस्व में वृद्वि होनेे के साथ ही 8 हजार 412 सैलानियों की संख्या में कमी आई। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में जहां पार्क भ्रमण में 8 हजार 217 विदेशी सैलानी आए थे, वहीं इस बार उनकी संख्या 7 हजार 774 तक ही सीमित रही। पिछले वर्ष की तुलना में 638 विदेशी सैलानी कम आए। पार्क वार्डन यूसी तिवारी कहते है कि प्लेटिनम जुबली के मौके पर स्कूली बच्चों, वकीलों व बुर्जुगों को कैंटर सैर कराई गई थी। जबकि एक दिन में पार्क में 5 कैंटरों में 90 सैलानी घूमते है। वहीं इस बार सुंदरखाल में हुए बाघ-मानव संघर्ष के बाद हुए आंदोलनों से भी सैलानियों की संख्या में असर पड़ा है।
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