Friday, September 23, 2011

उत्तराखंड से भारतीय क्रिकेट को मिला एक ओर सितारा


भारतीय क्रिकेट टीम को नई पहचान दिलाने की तमन्ना

जूनियर इंडिया के कप्तान उन्मुक्त चंद से बातचीत

रुद्रपुर। जहांगीर राजू

भारतीय क्रिकेट टीम को नईं ऊंचाईयों को पहुंचाने वाले उत्तराखंड मूल के महेन्द्र सिंह धौनी के बाद राज्य से भारतीय क्रिकेट को उन्मुक्त चंद के रुप में एक और सितारा मिला है। उन्मुक्त 27 सितंबर से विशाखापट्टनम् में होने वाली चार देशों की वाडरेंगुलर सीरीज में जूनियर इंडियन क्रिकेट टीम का प्रतिनिधिव करेंगे। उन्मुक्त की तमन्ना है कि वह सीनियर क्रिकेट टीम में शामिल होकर भारतीय क्रिकेट को नईं ऊंचाईयों तक पहुंचाएं।
नेशनल क्रिकेट अकादमी बैंग्लुरु में प्रशिक्षण कैंप कर रहे उन्मुक्त ने दूरभाष पर बातचीत में कहा कि जूनियर सीनियर इंडियन क्रिकेट टीम का प्रतिनिधिव उत्तराखंड मूल के दो खिलाडियों के हाथों पर होना उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि 27 सितंबर से विशाखापट्टनम् में होने वाली चार देशों की वाडरेंगुलर सिरीज में भारतीय जुनियर क्रिकेट टीम का प्रतिनिधिव करेंगे। जिसके लिए वह वर्तमान में नेशनल क्रिकेट अकादमी बैंग्लुरु में कैंप कर रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह 23 सिंतबर को विशाखापट्टनम् के लिए रवाना होंगे। इस सिरीज में आस्ट्रेलिया, वेस्टेंडिज, श्रीलंका इंडिया की टीम प्रतिभाग करेगी। प्रतियोगिता में पहला मुकाबला 27 सितंबर को भारत वल आस्ट्रेलिया के बीच खेला जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मुकाबले में भारतीय टीम सबसे मजबूत दावेदार के रुप में उभरकर सामने आएगी। उन्मुक्त ने बताया कि वह दिल्ली के टीम से बतौर ओपनर बल्लेबाज के रुप में खेलते हैं। आईपीएल में उन्होंने दिल्ली डेयरडवेल्स की टीम से चार मैच खेले। राइट आर्म बल्लेबाज होने के साथ ही वह आफ स्पीनर बॉलर भी हैं। उन्हंे जूनियर इंडिया की टीम में पिछले सत्र में सबसे अधिक रन बनाने का गौरव प्राप्त है। साथ ही रणजी ट्राफी के 5 मैचों में उन्होंने 400 रन बनाकर सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। जिसमें उनकी रेलेवेे के खिलाफ 15 रन की पारी भी शामिल है। उन्हें आईपीएल में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी के रुप में शामिल होने का भी गौरव प्राप्त है।
गांव की यादों से जुड़ा उन्मुक्त

रुद्रपुर। मूलरुप से पिथौरागढ़ जिले के खडकू भल्या निवासी 18 वर्षीय उन्मुक्त चंद की यादें आज भी उनके गांव से जुड़ी हुई हैं। उनके पिता भरत चंद ठाकुर ने पिथौरागढ़ डिग्री कालेज से पढ़ाई की। वर्तमान में वह दिल्ली स्थित सरकारी कालेज में प्राध्यापक हैं। उन्मुक्त अब भी हर साल अपने पिता के साथ साल में एक बार गांव जरुर जाता है। उसे गांव के बच्चों के साथ खेतों में क्रिकेट खेलना हमेशा याद रहता है। उन्मुक्त का कहना है कि वह चाहे जिस मुकाम तक भी पहुंचे, लेकिन वह हमेशा अपने गांव से जुड़े रहेग

खेल के साथ पढ़ाई भी जरुरी

रुद्रपुर। कड़ी मेहनत कर क्रिकेट में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले उन्मुक्त बताते हैं कि खेल के साथ पढ़ाई भी जरुरी है। इस वर्ष उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा 70 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण की। वर्तमान में वह दिल्ली के प्रतिष्ठित सेेंट स्टीफन कालेज में बीए प्रथम वर्ष के छात्र हैं। उन्मुक्त बताते हैं कि वह क्रिकेट के साथ ही फिटनेश, योगा पढ़ाई पर भी खास ध्यान देते हैं।

















1 comment:

  1. hamen garv hai....unmukt...baadhaaaon se mukt..prgati kare ...
    aur...
    aap hamen soochit karte rahen....

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