कालाढूंगी के छोटी हल्द्वानी में बने संग्रहालय की लाइटें कई महीनों से खराब होने से पर्यटक कार्बेट के दस्तावेज देखे बगैर वापस लौट रहे है
चंदन बंगारी
रामनगर
सरकार भले ही प्रसिद्व शिकारी जिम कॉर्बेट के प्रयासों से स्थापित हुए विश्वप्रसिद्व पार्क से करोड़ों रूपयों का प्रतिवर्ष मुनाफा कमा रही है। मगर मुनाफा कमाने में लगी सरकार व उसके नुमाइंदों के पास कार्बेट की ऐतिहासिक धरोहरें बचाए रखने का समय नही है। जिम कार्बेट की यादगारों को आम लोगों से रूबरू कराने वाले कालाढूंगी स्थित संग्रहालय के दो कमरों की ट्यूब लाईटें व बल्ब कईं महीनों से खराब पड़े हुए है। कईं वर्षों से यह भवन रंग-पुताई एवं रखरखाव को तरस रहा है।
गौरतलब है कि जिम कार्बेट ने 1915 में कालाढंूगी के पास छोटी हल्द्वानी में एक किसान गुमान सिंह से 1500 रूपये में खरीदी 221 एकड़ जमीन पर एक आदर्श गाँव बनाने का सपना देखा था। उन्हांेने रहने के मकसद से 1922 में एक आयरिश स्टाइल का बंगला बनवाया था। बंगले में वह जाड़ों के समय रहते थे। आजादी के बाद केन्या लौट जाने पर उनके आवास को सन् 1965 में तत्कालीन वन मन्त्री चौधरी चरण सिंह के प्रयासों से संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया। संग्रहालय का प्रबंधन कॉर्बेट टाईगर रिजर्व के हाथों में है। जहाँ सरकार कॉर्बेट टाईगर रिजर्व पर करोड़ों रूपये खर्च कर रही हैं, वहीं कॉर्बेट संग्रहालय की कोई सुध लेने वाला नही है। कईं वर्षों से संग्रहालय के प्रवेश द्वार के आस-पास का फर्श जीर्ण-शीर्ण हालत में होने के साथ ही चारदीवारी भी कईं जगह पर टूटी चुकी है। बरसात से भवन की एक दीवार में दरार आ गई है। कई सालों से भवन में रंगाई पुताई तक नही हो सकी है। संग्रहालय के कमरों में जिम कॉर्बेट के जीवन पर प्रकाश डालने वाली विभिन्न पेन्टिंग, फोटो, दस्तावेज व उनके द्वारा प्रयोग की गई विभिन्न सामग्री मौजूद है। मगर दो कमरों की सभी ट्यूब लाईटें व बल्ब कईं महीनों से खराब होने की वजह से पर्यटक कार्बेट के दस्तावेजों की जानकारी से महरूम होकर वापस लौट रहे हैं।
संग्रहालय में प्रतिवर्ष करीब 25 से 30 हजार देशी-विदेशी पर्यटकों की आमद से वन विभााग को करीब ढाई लाख रूपये का राजस्व प्राप्त होता है। मगर कार्बेट का संग्रहालय व उनके द्वारा लगाया गया आम व लीची का बाग सिंचाई के पानी को तरस रहा है। पानी न होने से कईं पुराने वृक्ष सूखकर गिरने के साथ ही सौन्दर्यकरण के लिए लगाए गए अनेकों प्रजाति के रंग-बिरंगे फूलों के पेड़ भी सूखते जा रहे हैं। हालत यह है कि कॉर्बेट द्वारा सन् 1947 में यहाँ से कीनिया जाने के बाद मित्र जगत सिंह नेगी को लिखे गये पत्र की प्रतिलिपि संग्रहालय में पर्यटकों के देखने के लिए रखी गई प्रतिलिपि भी करीब दो माह से संग्रहालय से नदारद है। संग्रहालय की अव्यवस्थाओं के बारे में इंचार्ज उमेद सिंह नगरकोटी व कार्बेट विकास समिति के निदेशक राजेश पंवार कईं बार कॉर्बेट टाईगर रिजर्व मुख्यालय को लिखित व मौखिक रूप से सूचित कर चुके हैं, मगर कोई कार्रवाई न होने से वह निराश है।
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बजट का प्रस्ताव एनटीसीए को भेजा गयाः पार्क वार्डन
रामनगर। कार्बेट पार्क के वार्डन यूसी तिवारी का कहना है कि हैरिटेज भवन की खराब हालत को ठीक करने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी सीईई को पत्र लिखा गया था। प्रतिनिधियों ने पिछले दिनों संग्रहालय के भवन को देखा था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में भवन को ठीक करने में आने वाले व्यय व अपने मत को लिखा है। उन्होंने कहा कि भवन को ठीक करने के लिए एनटीसीए व अन्य संस्थाओं को बजट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने कहा कि कमरे के बल्ब अगर जल नहीं रहे है तो उन्हें ठीक कराया जाएगा। उन्होंने पानी के लिए सिंचाई विभाग द्वारा नहर बनाने को प्रस्ताव को पत्र लिखकर सहमति दी थी।
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