Tuesday, August 31, 2010

बाघों के घर में तितलियों का बसेरा

देशभर में सर्वाधिक बाघों के लिए प्रसिद्व कार्बेट पार्क में कामन व दुर्लभ दोनों की सैकड़ों प्रजातियों की तितलियां निवास करती है 
                                                                                        चंदन बंगारी  रामनगर

जिम कार्बेट नेशनल पार्क व आस-पास की फिजां में इन दिनों तितलियों के झुंडों ने कई रंग घोल दिए हैं। बाघों का घर कहा जाने वाला कार्बेट पार्क वन्य प्राणियों व परिंदों की सैंकड़ों प्रजातियांे का बसेरा है। मगर बरसात के मौसम में रंग-बिरंगी तितलियां हजारों की तादात में बाहर निकलकर हर किसी को आकर्षित करने के साथ ही हैरान भी कर रही हैं। इनमें खास तौर पर पीले रंगांे वाली इमीग्रेंट नाम की तितलियांे के झुंड एक ओर से दूसरी ओर जाते हुए आसानी से देखे जा रहे हैं।
प्रकृति की अनूठी देन रंग-बिरंगी तितलियों के दीदार से किसी के भी दिल में कोमल भावनाओं हिलोरे मारने लगती हैं। कीट-पतंगों की करीब पंद्रह सौ प्रजाति की तितलियां भारतीय उपमहाद्वीप में मिलती हैं। बरसात के दौरान तितलियों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हो जाती है। कार्बेट पार्क के जंगलों व सटे गांवों में इन दिनों बेशुमार प्रजातियों की तितलियां देखी जा सकती हैं। जिनमें कामन रूप से इमीग्रेंट, मॉरमून, ब्लैक पेंसिल, कामन टाइगर, ग्रास ज्वैल, लेमन पेंसी, कामन सैलर, कामन जैम आदि प्रजातियों की तितलियां देखी जाती है। वहीं मगर पार्क में दुर्लभ प्रजातियों की तितलियों में याम लाई, वेगरेंट, गैप बटरलाई, पेरिस पिकाक, ब्लू एडमिरल, डेनेट एग लाई, इंडियन रेड एडमिरल सहित अनेक शामिल है। कार्बेट पार्क में तितलियों की संख्या पर तो किसी ने आज तक अध्ययन नही किया है मगर जानकार जंगलों में दो सौ अधिक प्रजातियां होने की बात कहते है। फूलों, झाड़ियों, दलदली व पानी वाली जगहों पर उड़ती तितलियों के झंुडों को मंडराते देखा जा रहा हैै। तितलियों का मानसून के दौरान बड़ी संख्या में बाहर आना खेती के लिए अच्छा संकेत है। तितलियां पर परागण की प्रक्रिया से जुड़ी होती है। कीट-पतंगों के जानकार और तितली प्रेमी इन दिनों इनके अध्ययन व सूची बनाने में जुटे हैं। कार्बेट पार्क के जंगलों में पिछले पांच साल से तितलियों पर अध्ययन कर रहे संजय छिम्वाल का कहना है कि कार्बेट पार्क तितलियों के लिए स्वर्ग है। उन्होंने अब तक पार्क के एक हिस्से में करीब 115 प्रजातियों की तितलियां देखी है। लेकिन पार्क के अन्य हिस्सों में भी वह तितलियों की दूसरी प्रजातियों के होने की बात जोर देकर कहते है। उन्होंने बताया कि परिवेश के हिसाब से तितलियों अलग-अलग स्थानों पर रहती है। कोई घने जंगल में रहना पसंद करती है तो कोई खुले स्थानों में। उन्होंने कहा कि तितलियां स्वच्छ परिवेश का सूचक होती है। 
मधुमक्खी के बाद दूसरी ऐसी कीट है जो परागण का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिग का खतरा तितलियों जैस्ी नाजुक प्रजातियों पर मंडरा रहा है। अगर मौसम में लगातार बदलाव होते रहे तो तितलियां विलुप्त हो जाएंगी। जिनके कारण दूसरी प्रजातियों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। पार्क के वार्डन यूसी तिवारी तितलियों को अच्छी तादात को यहां की समृद्ध जैव विविधता का ही एक नमूना मानते हैं। उनका कहना है कि पार्क में वर्षाकाल के दौरान माइग्रेट व स्थानीय तितिलियों के झुंड ज्यादा संख्या में देखे जाते है। उन्होंने कहा कि तितलियों के झुंड पार्क के वनों के लिए शुभ संकेत हैं।

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