Thursday, July 7, 2011

उम्मीद जगाता ”टेंशन प्वाइंट“

- चार सौ से अधिक समस्याएं हो चुकी हैं प्रदर्शित

- टेंशन प्वाइंट नाम से ब्लॉग भी बनाया

चंदन बंगारी रामनगर

पैसे के पीछे अंधी दौड़ इंसान को अपने इर्द गिर्द फैले हुए भ्रष्टाचार व व्यवस्था की विसंगतियों के प्रति जान बूझकर भी अनजान बना रही है, वहीं संवेदनहीनता के दौर में भी कुछ लोग अपने विचारों की अलख से ठहरे हुए पानी में हलचल पैदा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
अल्मोड़ा जिले के भिक्यासैंण निवासी शंकर फुलारा भी उन्हीं में एक हैं, जिन्होने अपने कस्बे में टेंशन प्वाइंट नाम के प्रयोग के जरिये जमाने के दर्द व व्यवस्था में पनप रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने का अभियान छेड़ा हुआ है। दरअसल उनका यह टेंशन प्वाइंट और कुछ नहीं बल्कि कस्बे के बड़ियाली तिराहे पर लगा एक नोटिस बोर्ड है, जिसमें जनसमस्याओं के विवरण, सरकारी मशीनरी की बेरूखी और राजनीतिबाजों के झूठे वादों पर तीखे तंज कसे जाते हैं। जनता के बीच लोकप्रिय टेंशन प्वांइट पर लिखी इबारतों का तुरंत असर भी होता है। बीते पांच सालों से अब तक टेंशन प्वांइट में चार सौ से ज्यादा मुददे उठाए जा चुके हैं।
टेंशन प्वाइंट की शुरूआत के बारे में शंकर कहते हैं कि सितंबर 2006 में सरकार के प्रयासों से लगे चिकित्सा शिविर में कई डाक्टर पहुंचे थे। लेकिन अस्पताल में डाक्टर मौजूद नही थे। उन्होंने बाजार के चौक पर टेंशन प्वाइंट का बोर्ड लगाकर  पोस्टर लगाया ”सरकार जब चिकित्सा शिविर लगा सकती है तो दाल, आलू, सड़क, तेल, बिजली शिविर भी लगाने की जरूरत है“। इस पहल को जनता की सराहना मिलने के बाद टेंशन प्वाइंट का सफर अनवरत चल रहा है। वह बताते है कि 2008 में बैंक द्वारा ग्रामीणों को कागज पूरे होने के बावजूद लोन नहीं देने पर टेंशन प्वाइंट में लिखा कि ”सरकार ने योजनाएं लोगों को फंसाने के लिए बनाई हैं, भला हो बैंक कर्मियों का जो लोन नहीं देते है“। समस्या प्रदर्शित होने के फौरन बाद व्यवस्था सुधर गई।
पानी, बिजली, सड़क, पेंशन जैसी कई समस्याएं बोर्ड में प्रदर्शित होने पर अधिकारी उसका निदान करने लगे। पोस्टरों में स्थानीय समस्याओं, बुराईयों, पर्यावरण संरक्षण सहित राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों को रखने केअलावा नेताआंे की कार्यप्रणाली पर जमकर कटाक्ष किया जाता पोस्टर लगते ही उसे पढ़ने वालों की भीड़ जमा हो जाती है। यहां नये पोस्टर के लिए लोगों में उत्सुकता बनी रहती है, लोगों को टेंशन प्वाइंट अपनी समस्याओं के समाधान का सहारा लगने लगा है।
 वह .tensionpoint.blogspot.com  नाम से ब्लॉग भी चलाते है। भिक्यासैंण जैसे पहाड़ी कस्बे में भले ही इस पहल ने ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोरी हों, मगर उनका टेंशन प्वाइंट इलाके में चर्चित है।   सरकारी अधिकारियों के रवैये व भ्रष्टाचार से त्रस्त लोगों के लिए टेंशन प्वाइंट आशा की किरण है।

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