Thursday, February 10, 2011

रामनगर में जीवंत हुई पहाड़ की लोकसंस्कृति


 लोक कलाकारों ने किया पौराणिक गाथाओं का मंचन

चंदन बंगारी
रामनगर

प्रगतिशील सांस्कृतिक पर्वतीय समिति में आयोजित हुए 19वें बसंतोत्सव में पहाड़ की लोकसंस्कृति के अनेक रंग देखने को मिले। प्रदेश के कोने-कोने से आए लोक कलाकारों ने ऐतिहासिक संस्कृति व पौराणिक लोकगाथाओं पर आधारित नृत्य नाटिकाओं का शानदार मंचन कर सांस्कृतिक छटा का जादू बिखेरा। बीते 19 सालों से समिति बगैर सरकारी मदद के चलते लोक संस्कृति को बचाने की जददोजहद कर रही है। जनता से जुटाए रूपये से होने वाले महोत्सव में प्रदेश से हर हिस्से से आई टीमें हुनर का प्रदर्शन करती है। इस बार 6 जनवरी को बसंतोत्सव का पहला दिन ऐंपण, मेंहदी व चित्रकला प्रतियोगिता के नाम रहा। चित्रकला प्रतियोगिता में 300 स्कूली बच्चों ने कागज पर अनेक भावों को दर्शाते चित्र उकेरे तो महिलाओं ने ऐंपण के जरिए कुमाऊंनी संस्कृति को प्रदर्शित किया। महोत्सव के दूसरे दिन प्रदेशभर से आए लोक कलाकारों ने नगर में सांस्कृतिक झांकियों का जूलूस निकाला।
झांकियों के जरिए पहाड़ की लोकसंस्कृति की झलक बिखेरते हुए दल के रंगकर्मियों ने लोगों से गुम होती संस्कृति व सभ्यता के संरक्षण में आगे आने की अपील की। समिति परिसर पैंठपड़ाव में रिमझिम कला केंद्र भीमताल के कलाकारों के प्रसिद्ध छोलिया नृत्य की प्रस्तुती के बाद सांस्कृतिक झांकियों का जूलूस नगर के लिए रवाना हुआ। जूलूस में शामिल विभिन्न दलों के कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर वाद्ययंत्रों की धुनों से पहाड़ों की मान्यताओं व रीति-रिवाजों को आकर्षक ढंग से पेश किया। नगर की सड़कों पर आकर्षक झांकियों ने फिजां में बसंत ऋतु की मस्ती व उल्लास का रंग घोल दिया।  जुलूस के आगे बसंत ऋतु प्रतीक पीली पताकाओं व पीली टोपी पहने समिति के पदाधिकारी हाथी व घोड़े पर सवार कलाकार चल रहे थे।
जूलूस में मेहता फिल्म प्रोडक्शन खटीमा ने मां नंदा-सुनंदा की डोली, जन आस्था मंच उत्तरकाशी ने डांडा की जात्रा, सर्वोदय प्रेरणा ग्रामीण समिति अल्मोड़ा ने कुमाऊँनी जागर को शानदार ढंग से प्रस्तुत किया। हमारा आर्ट ग्रुप देहरादून ने प्रसिद्व मुखौटा नृत्य, जय गोलू भनारी एवं दिशा बालरंग शाला अल्मोड़ा ने मां नंदा-सुनंदा का डोला, सोमेश्वर कला संगम भटवाड़ी रैथल उत्तरकाशी ने ऋतुराज बसंत स्वागत व रामनगर सांस्कृतिक कला समिति की टीम ने संजैती जागर की प्रस्तुति दी। वहीं आस गु्रप भवाली के रंगकर्मियों ने नरसिंह अवतार को प्रस्तुत किया। जूलूस में सोसायटी फार महावीर कन्जर्वेंसी की दुर्लभ महाशीर व गिद्ध बचाने की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। संस्था के सुमांतो घोष, यूके से आई लुईस, कलकत्ता की हीतल, केडी करगेती व हेम बहुगुणा ने गिद्वों व महाशीर को बचाने की अपील करते हुए जनता के बीच प्रचार सामग्री वितरित की। पतंजलि योग समिति रामनगर द्वारा स्वदेशी आंदोलन को दर्शाती झांकी ने लोगों ने काफी सराहा।
सांस्कृतिक जुलूस रानीखेत रोड, लखनपुर, दुर्गापुरी, मुख्य बाजार, भवानीगंज, नन्दा लाईन, कोसी रोड सहित अनेक स्थानों से होता हुआ समिति परिसर में जाकर समाप्त हुआ। तीसरे दिन लोकनाटक प्रतियोगिता में पहली प्रस्तुति रामनगर सांस्कृतिक कला समिति द्वारा प्रस्तुत किए गई देवी देवता वंदना से हुई। समेश्वर कला संगम रैथल उत्तरकाशी के कलाकारों द्वारा दिखाए गए जीतू बगडवाल नाटक व सर्वोदय प्रेरणा ग्रामीण समिति अल्मोड़ा ने पांडव नृत्य का दृश्य प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियां बटोरी। जन आस्था मंच उत्तरकाशी के कलाकारों ने यमुना घाटी की प्रचलित लोकगाथा सिदवा रमोला का मार्मिक मंचन किया। यह कथा आज भी टिहरी व उत्तराकाशी में प्रचलित है। मेहता फिल्म प्रोडेक्शन खटीमा ने अपनी प्रस्तुति वीर कल्याण के माध्यम से स्वाभिमान की असत्य पर सत्य की जीत का मंचन किया। हमारा आर्ट गु्रप देहरादून ने महाभारत चक्रव्यूह पर आधारित नृत्य प्रस्तुत कर खूब वाहावाही लूटी। वहीं जय गोलू भनारी अल्मोड़ा ने लोकगाथाओं पर आधारित तीन कथ नाटक का शानदार मंचन किया।चौथे दिन कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति मेहता प्रोडक्शन खटीमा की टीम की धार्मिक मान्यता पर आधारित लोकगाथा वीर कल्याण से हुई। नाटक के जरिए कलाकारों ने असत्य पर सत्य की जीत, पीड़ितों को न्याय दिलाने के हौंसले का मंचन किया।
 रामनगर सांस्कृतिक कला समिति ने ऐतिहासिक लोकगाथा पर आधारित बलिवेदना बग्वाल खूबसूरत ढंग से मंचन किया। नाटिका में देवी बाराही मेरी सेवा लिया सहित अनेक धार्मिक गीतों का समावेश कर पहाड़ की मान्यताओं, संस्कारों व रीति-रिवाजों का जीवंत चित्रण किया गया। टीम ने रक्षाबंधन के पर्व पर चंपावत के देवीधुरा में होने वाले पाषाण यु़द्व को भी दर्शकों के सामने पेश किया। हमारा आर्ट ग्रुप अंग्वाल देहरादून ने लोकनाटिका रणू झाकरू द्वि भै, सर्वोदय प्रेरणा ग्रामीण सेवा समिति अल्मोड़ा ने गढ़वाल की वीरगाथा पर आधारित नाटिका भानू भौपेला का शानदार मंचन कर खूब तालियां बटोरी। 
जन आस्था मंच मोरी उत्तरकाशी की टीम ने यमुना व टौंस घाटी की संस्कृति पर आधारित तांदी नृत्य व समेश्वर कला संगम रैंथल उत्तरकाशी ने गढ़वाल में मेले के दौरान गए जाने वाले पोसतुक छुम मेरी भग्यानी बौ गीत पर शानदार नृत्य प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। कुमाऊंनी व गढ़वाली शैली पर आधारित लोक नृत्यों पर दर्शक जमकर झूमे। लोक कलाकार प्रेम पंचोली का कहना है कि सरकार को इस तरह के महोत्सवों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। जिससे गुम हो रही  पहाड़ की संस्कृति व सभ्यता को बचाया जा सकेगा। 

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