कृषि भूमि को बाढ़ लील रही है वहीं मिट्टी माफिया भी खेतों को बंजर कर रहे हैं
सिल्ट निकालकर नदियों को गहरा कर बचाये जा सकते हैं खेत।
राजेन्द्र तिवारी सितारगंज
तराई में नदियों का कटाव से हजारों एकड़ कृषि भूमि प्रतिवर्ष नदियों में समा रही है। वहीं मिट्टी माफिया भी उपजाऊं कृषि भूमि को पांच फिट तक खोदकर खेतों को बंजर कर रहे हैं। सरकारों की कोई नीति नहीं होने से कृषि भूमि का रकवा कम होता जा रहा है। सितारगंज क्षेत्र में ही बैगुल, सूखी, कैलाश देवहा कामन निहाई नदियों के भूकटाव से सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि नदियों में समा गई है। सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि में कई फिट सिल्ट भर गई है। जो कई वर्षों तक खेती योग्य नहीं रह गई है। नदियों के कटाव को रोकने के लिए सरकारों ने कोई पहल नहीं की। मंत्रीगण बरसात के दिनों में आश्वासन देकर कृषि भूमि को बचाने के लिए के आश्वासन दे जाते हैं। लेकिन ठोस नीति बनाने के लिए इन्हें भी फुर्सत ही नहीं दिखती।
सितारगंज नानकमत्ता शक्तिफार्म क्षेत्र में नदियां हर वर्ष सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि को बंजर करती जा रही है। लेकिन इन सबसे बेपरवाह सरकारी महकमे हर वर्ष बाढ़ सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये पानी में बहा देता है। मनरेगा समेत तमाम योजनाओं को पैसा तब खर्च किया जाता है जब नदियां उफान पर होती हैं। बाढ़ इन कार्यों को एक ही झटके में बहा ले जाती है। पिछले चार वर्षों में नदियों की तबाही रोकने के लिए सिंचाई विभाग ने सितारगंज क्षेत्र की नदियों से तबाही रोकने के लिए करीब 25 करोड़ की योजनायें स्वीकृत कराई हैं। लेकिन धन आवंटित नहीं होने से कार्य समय पर नहीं हो पाये। जिसका खामियाजा गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी क्षेत्रवासी भुगत रहे हैं। गत वर्षों की भॉति इस वर्ष भी राजनेताओ व उच्चाधिकारियों के दौरे बाढग़्रस्त क्षेत्रों में हो रहे हैं। इस वर्ष भी बाढ़ का कारण नदियों में सिल्ट भरना बताया जा रहा है। अधिकारी पिछले वर्षों में भी इसी को कारण बताते आये हैं। लेकिन नदियों में से सिल्ट निकालकर गहरा व चौनलाईज नहीं किया। बाढ़ सुरक्षा के नाम पर करोड़ों प्रतिवर्ष खर्च हो रहे हैं। लेकिन नदियों को गहरा व चौनलाईज करने की योजनायें फाईलों में बन्द है।
यदि सरकार नदियों से सिल्ट निकालने की अनुमति दे दी गई होती तो तराई में उपजाऊं खेतों को खोदकर कृषि भूमि को बंजर कर रहे मिट्टी माफियाओं से भी निजात मिलती। जो हर वर्ष हजारों एकड़ कृषि भूमि में कई फिट मिट्टी खोदकर कृषि भूमि को बंजर कर रहे हैं। सिल्ट निकालने से सरकार को आय भी होती। नदियों में समाने वाले खेत भी सुरक्षित रहते। साथ ही प्रति वर्ष बाढ़ सुरक्षा के नाम पर करोड़ों के धन की बर्बादी भी रुकती।
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