Wednesday, September 1, 2010

तराई के लाल क्यों परदेशी हो गए ?

हर वर्ष पांच सौ से अधिक युवा बनवाते हैं पासपोर्ट


कनाडा जाने वाले युवाओं की संख्या सर्वाधिक


तराई से हर वर्ष बड़ी संख्या में युवाओं का विदेशों को पलायन हो रहा है। जिसमें से सैकड़ों की संख्या में युवा विदेश की नागरिकता ले रहे हैं।
                                                        (रुद्रपुर से, जहांगीर राजू)


तराई के युवाओं में विदेश जाकर नौकरी व व्यवसाय करने का रुझान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। स्थिति यह है कि तराई में हर वर्ष 500 से अधिक युवा विदेश जाने के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हैं जिसमें से 40 फीसदी से अधिक युवा विदेश जाकर नौकरी करते हैं। दो-चार साल तक नौकरी करने के बाद वह वहीं वी नागरिकता ले लेते हैं। जिसके चलते तराई से बड़े पैमाने पर बौद्धिक संपदा का पलायन हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि तराई के बड़े किसान परिवारों के युवाओं में विदेश में जाकर नौकरी करने का बड़ा क्रेज है। जिसका प्रमाण कलक्ट्रेट स्थित पासपोर्ट प्रकोष्ठ दे रहा है। प्रकोष्ठ से मिले आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो वर्ष 2006 में बरेली स्थित पास्पोर्ट दतर से 476, 2007 में 510, 2008 में 531 लोगों ने पासपोर्ट प्राप्त किए। रुद्रपुर कलक्ट्रेट में पास्पोर्ट प्रकोष्ठ बनने के बाद 2009 में 676 लोगों ने विदेश जाने के लिए पासपोर्ट प्राप्त किए। जबकि वर्ष 2010 में अबतक 221 लोगों ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया है। इन आवेदनों को पासपोर्ट कार्यालय देहरादून भेज दिया गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक तराई में प्रतिवर्ष 500 से अधिक युवा विदेश जाने के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हैं। जिसमें से लगभग 200 से अधिक युवा हर साल नौकरी के लिए विदेश  जाते हैं। जिसमें से सर्वाधिक युवा कनाडा में जाकर नौकरी करते हैं। स्थिति यह है कि कनाडा के टोरेंटो शहर में तराई के 100 से अधिक परिवार रह रहे हैं। जिसमें से अधिकांश लोगों ने वहीं की नागरिकता ले ली है।
मूलरुप से रुद्रपुर निवासी स्पेन के प्रवासी भारतीय हरवंदर सिंह धारीवाल बताते हैं कि उनके परिवार के सात सदस्य स्पेन में रहकर नौकरी व अपना व्येह्लसाय करते हैं। उनका स्पेन में रेस्टोरेंट है। वह कहते हैं कि तराई के युवाओं का विदेशों के प्रति आकर्षण बढऩे का मुख्य कारण वहां के सिस्टम में पारदर्शिता होना है। वह कहते हैं कि यहां के सिस्टम का पचास साल बाद भी पारदर्शी बनना मुश्किल है। वह कहते हैं कि जबतक देश में फैला भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो जाता तबतक बेहतर व्यवस्था की उम्मीद करना बेमानी है। वह बताते हैं कि किसी देश का मंत्री एक आम आदमी के पीछे खड़ा होकर ट्रेन का टिकट खरीदता है, उस सिस्टम के प्रति युवाओं का आकर्षण बढऩा लाजमी है। वह उम्मीद करते हैं कि यहां का सिस्टम भी पारदर्शी बने और लोग विदेश जाने के बजाए अपने देश में रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें।

विदेशी पासपोर्ट प्राप्त करने का आकंड़ा                                             
   
  वर्ष                 संख्या

   2006                476

   2007                 510

   2008                531

   2009                 676

2010 में अबतक     221                   कनाडा में तराई के सर्वाधिक परिवार

रुद्रपुर। मूलरुप से रुद्रपुर बगवाड़ा निवासी कनाडा के प्रवासी भारतीय साहब सिंह विलर्क बताते हैं कि कनाडा में तराई के सर्वाधिक परिवार रहते हैं। वह कहते हैं कि वहां तराई के अधिकांश युवा डाक्टर, इंजीनियर वल व्यवसायी हैं। वह बताते हैं कि कनाडा में टैक्सी चलाने वाला चालक प्रतिदिन पांच हजार रुपये तक की कमाई कर लेता है। जबकि डाक्टर व इंजीनियर 45 से 50 लाख प्रतिवर्ष की कमाई कर लेते हैं। वह कहते हैं कि बेहतर रोजगार व अच्छा सिस्टम होने के कारण ही यहां के युवा विदेशों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। वह बताते हैं कि कोई भी दुर्घटना होने पर तीन मिनट के भीतर एंबुलेंस, फायर व पुलिस की टीम का पहुंच जाना वहां की बेहतर व्यवथाओं को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि कनाडा में सबसे अधिक पंजाब के लोग रहते हैं। जिसके चलते वहां 9 सांसद व 30 विधायक पंजाबी हैं। इसीलिए कनाडा को अब मिनी पंजाब के रुप में भी जाना जाने लगा है। 



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