Thursday, September 16, 2010

फिश एंगलिंग के लिए लोकप्रिय हो रहा है मरचूला

देशी-विदेशियों को खासा रिझा रहा है एंगलिंग का खेल

रामगंगा नदी में पाई जाने वाली महाशीर मछली अल्मोड़ा के मरचूला के तीन गांवों की तस्वीर बदल रही है। 

चंदन बंगारी
रामनगर

रामगंगा नदी में पाई जाने वाली महाशीर मछली अल्मोड़ा जिले के मरचूला के तीन गांवों को एक नई पहचान दे रही है। नदी किनारे बसा गुमनाम क्षेत्र मरचूला पर्यटन मानचित्र में अहम मुकाम हासिल कर रहा है। बीते कुछ सालों से यहां देशी-विदेशी सैलानियों की आमद तेजी से बढ़ रह़ी है। इसका श्रेय महाशीर नाम की एक र्स्पोट्स फिश को जाता है। यहां बहने वाली रामगंगा नदी में महाशीर की एंगलिंग का खेल सैलानियों के बीच खासा लोकप्रिय हो रहा है। जिसके चलते क्षेत्र में फिशिंग लॉजों और रिसोर्टों का निर्माण हो रहा है। पर्यटकों द्वारा एंगलिंग को बेहद पसंद किए जाने के कारण सरकार को जहां राजस्व का लाभ मिल रहा है, वहीं ग्रामीणों को भी इससे आर्थिक फायदा हो रहा है।
शिवालिक पर्वत श्रंखलाओं के बीच अल्मोड़ा व पौड़ी जिले की सीमा पर मरचूला गांव स्थित है। कुछ साल पहले तक गुमनाम रहे इस पूरे इलाके को गोल्डन महाशीर मछली ने नई पहचान दी है। साफ पानी में पाई जाने वाली महाशीर को नदियों की बाघिन भी कहा जाता है। रामगंगा में महाशीर मछली अंधाधुंध शिकार की वजह से खात्मे की कगार पर थी। मगर महाशीर संरक्षण की मुहिम को पर्यटन से जोड़ने से नदी में गोल्डन महाशीर की तादात बढ़ने लगी है। पांच साल पहले सरकार ने महाशीर संरक्षण को पर्यटकों व ग्रामीणों से जोडकर नदी का कुछ हिस्सा संरक्षण और एंगलिंग करने के लिए चार लोगों को लीज पर दिया था। लीज नियम के मुताबिक पर्यटकों से होने वाली आय का कुछ हिस्सा क्षेत्र के तीन गांवों बलोली, चिन्पानी, बकरोटी के ग्रामीणों व कुछ सरकार को देने की बात तय हुई थी। हालांकि चार में से दो ही लोग एंगलिंग का कार्य कर रहे है। मगर एंगलिंग के कारण गांवों की बंजर पड़ी जमीनों पर होटलों का विकास होने लगा है। र्स्पोटस फिश होने के कारण एंगलिंग का शौक सैलानियों में तेजी से पसंद किया जाने लगा। मछली को फिशिंग राड से पकड़ने, वजन नापने, इसके साथ फोटो खिंचाने व वापस नदी में छोड़ने का खेल एंगलिंग कहलाता है। देशी- विदेशी सैलानी यहां के फिशिंग लॉजों में ठहरकर एंगलिंग का लुत्फ उठा रहे है। 
एलिंग के लिए मरचूला आई फ्रांस निवासी फ्रेड बेंसले का कहना है कि बाघ, हाथी देखने के साथ ही एंगलिंग का अपना मजा है। इसको और विकसित करने व आने वाले पर्यटकांें को सुविधाएं देने की जरूरत है। मरचूला जो कभी पहाड़ की तलहटी में बसी उजाड़ जगह जैसा था। पिछले कुछ सालों से यहां करीब दर्जन भर रिसोर्ट और कैम्प बन चुके हैं। कार्बेट पार्क की सीमा पर होने व रामनगर से नजदीकी होने का भी इसे भरपूर फायदा मिल रहा है। नए पर्यटन गंतव्य के विकास से स्थानीय लोग भी खुश हैं। ग्रामीण मनवर नेगी का कहना है कि गांवों की जमीनें बंजर पड़ी हुई थी। एंगलिंग के चलते जहां महाशीर संरक्षण कार्य में भी तेजी आ रही है। शुरू में यहां कौड़ियों के दाम जमीनें बिकी, मगर अब जमीनों के अच्छे दाम मिलने व पर्यटन से जुड़कर ग्रामीणों की रोजी-रोटी चल रही है। रामगंगा के आसपास के तीन गांवों की ईको विकास समितियों को रॉड फीस और फिशिंग लॉज के टर्नओवर का एक हिस्सा भी मुनाफे के रूप में दिया जा रहा है।
 महानगरों की भागमभाग से दूर पहाड़, नदी, जंगल, पानी के बीच कुछ पल रहने की चाहत रखने वालों के लिए मरचूला नया आशियाना बन रहा है। तो फिर देर किस बात की, महाशीर के बहाने चल पड़े़ं तनाव मिटाने व कुछ पल सूकून के लिए मरचूला की ओर।

क्या फायदे है ग्रामीणों को 

- पर्यटकों से ली जाने वाली फिशिंग राड का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा 
- एंगलिग से होने वाली कुल आय का 5 प्रतिशत
- उत्तराखंड फारेस्ट डेवलपमेट कारपोरेशन के जरिए रूपया गांवों की ईको विकास समिति को जाता है।
                                                                                - गांवों के आसपास बने होटलों में मिलता है रोजगार

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