राज्य में आर्किड के 240 प्राकृतिक प्रजातियां मौजूद
राज्य में उद्योग केे रुप में स्थापित हो सकती है खूबसूरत आर्किड के फूलों की खेती
(जहांगीर राजू, रुद्रपुर से)
उत्तराखंड में खूबसूरत आर्किड के फूलों की खेती के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों के रोजगार से जोड़ा जा सकता है। राज्य में आर्किड की 240 प्रजातियां मौजूद हैं। ऐसे में राज्य केे बेरोजगार युवाओं के लिए आर्किड क उत्पादन स्वावलंबन का माध्यम बन सकता है।
उल्लेखनीय है कि आर्किड के खूबसूरत फूलों की नार्थ इस्ट एशिया में बड़ी मांग है। विश्व भर में आर्किड के एक लाख से अधिक हाईब्रीड प्रजातियां हैं। उत्तराखंड की अगर बात की जाए तो यहां की जलवायु आर्किड के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। जिसके चलते राज्य में प्राकृतिक रुप से खूबसूरत आर्किड के फूलों की 240 प्रजातियां हैं। पूरे हिमालयी क्षेत्र में इस फूल की 750 प्रजातियां मौजूद हैं। ऐसे में राज्य में आर्किड के फूलों के उत्पादन को एक उद्योग के रुप दिया जा सकता है। आर्किड के फूलों का उत्पादन कर इसे बड़े पैमाने पर विदेशों के निर्यात किया जा सकता है।
आर्किड पर शोध कर चुके डा.डीएस जलाल बताते हैं कि आर्किड ग्रुप की लोरिकल्चर के क्षेत्र में पूरे विश्व में काफी मांग है। उत्तराखंड में 30 से 40 फीसदी आद्रता वाले क्षेत्रों में आर्किड का बेहतर उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सिमडियम व डैन्ड्रोबियम प्रजाति के आर्किड प्रमुखता से पाए जाते हैं। इन आर्किड की कट लोवर के रुप में विश्व के फूल बाजार में काफी मांग है। वर्तमान में भारत में यह फूल हांगकांग से आयात किया जा रहा है। इस फूल की एक स्टीक 25 से 30 रुपये में मिलती है। एक फूल में इसकी 8 से 10 स्टीक तक होती हैं। उत्तराखंड से इस आर्किड को भारी मात्रा में निर्यात किया जा सकता है। साथ ही पोलबाइन आर्किड को पाकेट लोवर के रुप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि टिशू कल्चर के माध्यम से आर्किड का राज्य में अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। जिससे आर्किड की गुणवत्ता के साथ ही उसका उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। डा. जलाल ने बताया कि बंग्लौर, केरल में आर्किड के उत्पादन को एक उद्योग के रुप किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आर्किड को उद्योग के साथ ही पर्यटन से भी जोड़ा जा सकता है। डा. ललित तिवारी बताते हैं कि उत्तराखंड में आर्किड के उत्पादन को उद्योग का रुप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बेहतर संभावना के बावजूद राज्य में आर्किड के कल्टीवेशन का कार्य अबतक शुरू नहीं हो पाया है। जबकि यहां पेड़ों में स्वेतरू पैदा होने वाली आर्किड की सैकड़ों प्राकृतिक प्रजातियां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर जलवायु वाले क्षेत्र में आर्किड की खेती को मॉडल के रुप में कर उसे पूरे राज्य में विस्तार दिया जाना चाहिए।
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