Friday, April 1, 2011

परमाणु ऊर्जा संयंत्र मानवीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

देशभर में परमाणु ऊर्जा के खिलाफ चलेगा अभियान

भारत में बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े न्यूक्लियर प्लांट का होगा विरोध

आजादी बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बनवारी लाल शर्मा से खास बातचीत

जहांगीर राजू रुद्रपुर

आजादी बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व आईएएस बनवारी लाल शर्मा ने कहा कि देश में एक भी परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित नहीं होने दिया जाएगा। जिसके विरोध में तारापुर से जैंतापुर तक न्यूक्लियर विरोधी मार्च निकाला जाएगा। इस मार्च में देशभर के वैज्ञानिक व सामाजिक कार्यकर्ता भागीदारी करेंगे।
श्री शर्मा ने कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र देश में मानवीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि जब जापान जैसा देश अपने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को सुरक्षित नहीं रख पा रहा है तो ऐसे में भारत को भी देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने से पहले सोचना चाहिए। उन्होंने बताया कि देश में हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश व तमिलनाडु में 6 न्यूक्लियर प्लांट स्थापित होने हैं। जैंतापुर (महाराष्ट्र) में 10 हजार मेगावाट क्षमता का दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट लगने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूकंप व सुनामी की लगातार बढ़ रही घटनाओं के चलते विश्व के किसी भी देश के न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट सुरक्षित नहीं हैं। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए आजादी बचाओ आंदोलन के तहत देशभर में न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट के विरोध में लोगों को लामबंद करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसी क्रम में हरियाणा के फतेहाबाद क्षेत्र में न्यूक्लियर प्लांट के विरोध में पिछले 2२0 दिनों से आंदोलन चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के तारापुर क्षेत्र में चल रहे न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इस क्षेत्र में जहां लोग बड़े पैमाने पर कैंसर व बांझपन के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जापान के फुकुशिमा दाइची में परमाणु संयंत्र चला रही कंपनी भी भारत में परमाणु संयंत्र स्थापित कर रही है। ऐसे में जब यह कंपनी जापान में अपने संयंत्र को सुरक्षित नहीं रख पा रही है तो वह भारत में संयंत्र  की सुरक्षा की क्या गारंटी दे पाएगी। उन्होंने बताया कि देशभर में लोगों को परमाणु ऊर्जा के खतरों से जागरुक करने के लिए आजादी बचाओ आंदोलन के बैनर पर न्यूक्लियर विरोधी मार्च निकाला जाएगा। 23 से 25 अप्रैल तक चलने वाला यह मार्च गुजरात के तारापुर से शुरु होकर महाराष्ट्र के जैंतापुर पहुंचकर संपन्न होगा। इस अभियान में देशभर के वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद् व जागरुक राजनैतिक कार्यकर्ता भागीदारी करेंगे।
न्यूक्लियर विरोधी मार्च के दौरान लोगों को ऊर्जा के न्यूक्लियर एनर्जी के खतरों के प्रति जागरुक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि न्यूक्यिलर एनर्जी के बजाए हमें ऊर्चा के वैकल्पिक माध्यम सूरज की रोशनी, हवा व पानी तथा समुद्र की लहरों से बनने वाली बिजली की ओर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में 3 फीसदी बिजली न्यूक्लियर से प्राप्त हो रही है। यदि देश में 6 और न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट स्थापित हो जाते हैं तो इससे परमाणु बिजली उत्पादन का प्रतिशत 3 से बढक़र 7 फीसदी तक पहुंच जाएगा। इससे बिजली उत्पादन में बहुत ज्यादा फर्क पडऩे वाला नहीं है। ऐसे में हमें वैकल्पिक ऊर्जा के दूसरे माध्मयों पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है।

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