इन्टरनेट पर अब उपलब्ध है उत्तराखण्ड के तीज-त्यौहारों की सम्पूर्ण जानकारी
जहांगीर राजू (रुद्रपुर से)
किसी भी संस्कृति या समुदाय का आईना,
उसकी धरोहरें,
सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य,
संस्कृति,
बोली-भाषा,
संगीत इत्यादि होता है। मेरा पहाड़ डाट काम नेटवर्क (MeraPahad.com and
www.apnauttarakhand.com/)
भी भारत के एक राज्य उत्तराखण्ड को समर्पित है। उत्तराखण्ड की सामाजिकता, संस्कृति और पौराणिकता बहुत ही समृद्ध रही है। युगों-युगान्तरों से अनेक ऋषि-मुनि ही नहीं बल्कि अनेक धर्मों, संस्कृतियों के प्रवर्तकों और अनुयायियों का तपस्थल यहां पर रहा है। यहीं पर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर शेष दुनिया को उससे परिचित कराया है।
उत्तराखण्ड की इसी समृद्ध,
पौराणिक एवं प्रमाणिक विरासत को सहेजने के उद्देश्य से “मेरा पहाड़ नेटवर्क” ने यह प्रयास प्रारम्भ किया है। भविष्य में वेद-पुराणों की तरह इंटरनेट भी सभी चीजों को सहेजने का एक सुगम और सहज माध्यम बन जायेगा। आधुनिक भूमंडलीकरण के दौर में सभी संस्कृतियों का सामाजिक ताना बाना,
अपनी जड़ों से दिनोंदिन दूर होता चला जा रहा है और उत्तराखण्ड,
जहां रोजी-रोटी के पलायन करना एक मजबूरी है। वहां के लोग बाहर आकर धीरे-धीरे अपनी संस्कृति और परम्पराओं से स्वतः ही दूर होते चले जा रहे हैं।
उत्तराखण्ड से बाहर देश-विदेश में रह रहे लोगों को अपने पहाड़ की जड़ों से जोड़कर रखने और उत्तराखंड के बारे में और अधिक जानने के उत्सुक उत्तराखंड प्रेमियों के लिये “मेरा पहाड़ नेटवर्क” ने यह प्रयास शुरु किया। हर छह कोस में बोली,
पानी और रीति-रिवाजों में थोड़ा सा अन्तर आ ही जाता है। तो ई-ग्रुप और फोरम ही ऐसे माध्यम है,
जिसमें हर आम उत्तराखण्ड प्रेमी,
एक सदस्य बनकर अपने इलाके की बोली,
रिवाज,
त्योहारों आदि से हमें परिचित कराता है और ग्रुप/ फोरम के माध्यम से वह सबको सुलभ हो जाता है। “मेरा पहाड़ नेटवर्क” का प्रयास है कि हम अधिक से अधिक उत्तराखंड प्रेमियों को इससे जोड़े और अधिक से अधिक प्रमाणिक जानकारी हमारे फोरम के माध्यम से उपलब्ध हो। भविष्य में यह फोरम सम्पूर्ण उत्तराखण्ड की जानकारियों को अपने आप में समाहित कर लेगा और इस प्रकार इंटरनेट की विशाल दुनिया में संपूर्ण उत्तराखण्ड मेरा पहाड़ के रुप में सामने आ जायेगा। इन्ही जानकारियों को थोड़े और प्रमाणन के साथ अपनी अन्य साइट ApnaUttarakhand.com पर भी उपलब्ध कराया जाता है।
दूसरा कारण यह भी कि पहाड़ से आजीविका की तलाश में बाहर गया प्रवासी आज अपनी पहचान, अपनी जड़ों के जुड़ाव को जानने के लिये छटपटा रहा है। क्योंकि बाहर की दुनिया में भी कई छोटी-छोटी दुनिया अलग-अलग समुदाय के रुप में हैं। जिनकी अपनी-अपनी रीति और संस्कृति है, उन सब को देखकर अब उत्तराखण्डी प्रवासी भी अपनी संस्कृति को जानने के लिये छटपटा रहा है। इसलिये उनको, उनकी जड़ों से, उनकी संस्कृति से, रीति-रिवाज, विकास की समस्याओं, पर्यटक और धार्मिक स्थलों, मेलों-त्यौहारों से परिचित कराने का हमारा छोटा सा प्रयास है, मेरा पहाड़।
कोशिश यह की गयी है कि "मेरा पहाड़ नेटवर्क" की विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से उत्तराखण्ड के विभिन्न पहलुओं यथा - संस्कृति, तीज-त्यौहार, बोली-भाषा, व्यक्तित्व, लोक-संगीत, फिल्म, साहित्य और पर्यटन आदि के बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध करायी जाये.
एक अन्य कारण यह है कि हर वर्ष लाखों पर्यटक हमारे उत्तराखंड की प्राकृतिक सुन्दरता को देखने के लिये यहाँ खिंचे चले आते हैं। उन लोगों को यहाँ आने से पहले बहुत सी जानकारियां नहीं होती। यदि वह इंटरनैट पर जानकारियाँ ढूंढते भी हैं तो उन्हें अधिंकाश प्रायोजित जानकारी ही मिल पाती है जिस पर पूरी तरह से विश्वास करना कठिन सा होता है। “मेरा पहाड़ नेटवर्क” का यह प्रयास है कि अपने सदस्यों के माध्यम से अपनी साइट्स पर ऐसी प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध करायें जो यहाँ आने वाले सैलानियों के लिये मार्ग-दर्शन का काम करें और वह वास्तविक उत्तराखंड को और नजदीक से जान समझ पायें।
विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी आपकी शंकाओं का समाधान करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से भी आपका परिचय करवाते हैं ताकि आप उनसे सीधे प्रश्न पूछ कर अपना उत्तर पा सकें। समय समय पर उत्तराखंड से जुड़े महत्वपूर्ण हस्तियों से लाइव चैट का आयोजन भी करवाया जाता है जिसमें एक सदस्य के रूप में उनसे अपने प्रश्न पूछ सकते हैं।
“मेरा पहाड़ नेटवर्क” सिर्फ इंटरनेट तक ही सीमित नहीं है,
इंटरनेट के जरिये समान सोच के लोगों को जोड़कर, उनका एक समूह बनाकर उत्तराखण्ड के लिये धरातल पर भी काम किया जा रहा है। इसी को ध्यान में रखकर एक उप-समूह बनाया गया “क्रियेटिव उत्तराखण्ड-म्यर पहाड़”,
यह उत्तराखण्ड के युवाओं का सामाजिक,
सांस्कृतिक,
शैक्षिक और साहित्यिक मंच है। यह पुरानी पीढ़ी की विरासत को अगली पीढी तक पहुंचाने और इसे सहेजने का प्रयास करता है। पहाड़ से बाहर रह रहे युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़े रहने और विभिन्न गतिविधियों से पहाड़ को जानने और समझने का प्रयास कर रहा है। विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर रहे युवा इसमें भागीदारी कर रहे हैं और इस आयोजन को आगे बढ़ाने के लिये हमें विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। "Creative Uttarakhand - Myor Pahad"
के युवा साथी उत्तराखण्ड के विभिन्न हिस्सों में जाकर कैरियर गाइडेन्स कैम्प तथा मेडिकल कैम्प आयोजित करने के साथ ही उत्तराखण्ड की दिवंगत विभूतियों के पोस्टरों की एक श्रंखला भी चला रहा है जिसमें अब तक श्रीदेव सुमन,
ऋषिबल्लभ सुन्दरियाल,
डी.डी. पन्त एवं बिपिन त्रिपाठी सहित 8
विभूतियों के पोस्टर निकाले गये हैं. इसके अलावा "हिमालय बसाओ, हिमालय बचाओ" विचार गोष्टी श्रंखला के माध्यम से उत्तराखण्ड के ज्वलन्त मुद्दों पर बहस भी चलाई जा रही है.
अपनी इस छोटी सी कोशिश से उत्तराखण्ड की समृद्ध धरोहर, सांस्कृतिक एकता, सामाजिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने, भूमंडलीकरण के दबाव में प्रभावित होते सामाजिक समरसता की अपनी परंपरा को बचाने और आर्थिक रुप से संपन्न पहाड़ की कल्पना को साकार रुप देने में सहभागी बनना चाहते हैं।
मेरा पहाड़ डाट काम नेटवर्क ने दिनांक 24
अप्रैल, 2010
को एक नई वेबसाईट हिसालू -उत्तराखण्ड सन्देश का लोकार्पण किया। जिसका शुभारम्भ उत्तराखण्ड सरकार के माननीय संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रकाश पन्त जी ने किया। www.hisalu.com
उत्तराखण्ड से सम्बन्धित सभी वेबसाईटस और ब्लागों का संकलक (Aggregator)
है। अर्थात उत्तराखण्ड से सम्बन्धित कोई भी नई जानकारी इण्टरनेट पर उपलब्ध होते ही आप इसे एक ही साईट www.hisalu.com
पर देख पायेंगे। इसलिये अब इन्टरनेट द्वारा उत्तराखण्ड से जुड़ी अद्यतन (updated)
जानकारी आप इस साईट के माध्यम से आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। उत्तराखण्ड के प्रवासीजनों को उनकी संस्कृति से जोड़े रखने के लिये यह जरुरी है कि लोक संस्कृति के आधार पर मनाये जाने वाले त्यौहारों या महत्वपूर्ण तिथियों की जानकारी उनको हो,
लेकिन परदेश में पंचांग आदि की सुविधा नहीं होती,
अगर आप पंचांग ले भी आये तो बांचने की समस्या आती है। लेकिन इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया गया है। पूरे विश्व में फैले प्रवासी उत्तराखण्डी इस आनलाइन पंचांग का फायदा उठाकर समय पर आने वाले त्यौहारों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और बड़े उत्साह से मकर संक्रान्ति,
घी-संक्रान्त,
दशौर (गंगा दशहरा),
जने-पुन्युं तथा अन्य पारम्परिक त्यौहारों को मनाते हैं. उत्तराखण्ड में प्रचलित वाणी भूषण,
महिधर एवं रामदत्त पंचांगों के आधार पर माह भर के व्रत,
त्यौहार,
ग्रहण,
महत्वपूर्ण तिथियों आदि की जानकारी आप पंचांग तथा त्यार-बार से ले सकते हैं। और भी है बहुत कुछ जिसको शब्दों में व्यक्त कर पाना लगभग असंभव है, उसे तो आप साइट्स से जुड़ कर ही समझ सकते हैं तो फिर अब देर क्यों, आइये जुड़िये, जानिये पहाड़ को, समझिये पहाड़ को और जुड़िये अपनी पौराणिक और महान संस्कृति से, जिसका जरिया है। www.MeraPahadForum.com